शुक्रवार, 30 मार्च 2012

हमरे ऋतेश सर

हमारें प्यारे शिक्षक  ऋतेश चोधरी :-



शिक्षक ऐसे होते है ,
                          

                                ऋतेश सर ऐसे व्यक्ति जो योग्य होने के साथ ,
                               वे ऐसे चिराग है जो अपने ज्ञान के प्रकाश से हम सब को रोसन किया है ,
                               साथ ही पुरे संसार को भी रोसन कर रहे है | और वे ऐसे व्यक्ति है जो
                               विद्यार्थी के अन्तरमन  से ले कर बाह्य मन तक को अपने चिराग के
                               प्रकाश से रोसन कर दिया है | जो की हम इनका उपकार जीवन प्रयतन नहीं भूलेगे |

मंगलवार, 27 मार्च 2012

जिंदगी के रंग

हमने सोचा था उनके आने से जिंदगी में कुछ रंग  सा भर गया है ,
लेकिन इस रंग में हम युही बहक से गए ,
की रंग की रंगीनियो को ही नही समझ पाए हम ,
की  वो हमे किस राह में ले जा रहे है |
राह ऐसी है की हमे जिंदगी को  ,
जीने के लिए ऐसे रंग दिखा रही |
हम सोचने में मजबूर है की किस राह में जाये ,
कही हम भी इस राह में खो से ना जाये |

रविवार, 25 मार्च 2012

गुजरता हूँ जिस राह से उस राह को नहीं भूलता ,


गुजरता हूँ जिस राह से उस राह को नहीं भूलता ,
उस राह में मुझे जो मिले अच्छे या बुरे ,
उनको मै कभी नहीं भूलता ,
अच्छे होते है ,तो उनकी याद आती है बार-बार ,
बुरे होते है तो कहता हूँ ,छोड़ दे यार |
अच्छो से सिखाना चाहता हूँ ,कुछ ऐसी   चीजे जो हमारी जिन्दगी को बदल सकती है ,
बुरो से ऐसी बाते जो की बुरी तो होती है लेकिन उस बुराइ में क्या अच्छी बात है|
इसी लिए कहता हूँ -गुजरता हूँ जिस राह से उस राह को नहीं भूलता |

शुक्रवार, 23 मार्च 2012

रुसवा हुए

रुसवा हुए , वो हमसे जाने किस बात पर'
तन्हाई में वो हमे याद करते है आसूं बहा -२ कर ,
मै कहता हूँ प्यार करते हो हम से ,तो क्यों रुसवा हो जाते हो ,

तुम्हे  तन्हाई इतनी अच्छी  लगती है ,
की तन्हाई में ही खो जाते हो ,
और दुनिया को भूल कर हमको भी भूल जाते हो |

कहते है लोग अनाड़ी हो ।

  कहते है लोग अनाड़ी हो ।





कहते है लोग अनाड़ी हो ,
                 अनाड़ी ही रहना ।
अनाड़ी होते हैं दिल के साफ ,
इस दुनिया में जो अनाड़ी नहीं है ,
उनके दिल में होता है पाप ,
अगर पाप इस तरह होता है,
 तो मै साफ ही रहना चाहता हूँ ।
अनाड़ी हूँ ,अनाड़ी  ही रहना चाहता हूँ ।


                                    अनाड़ी अपनी जिन्दगी को मस्त हो कर जीना जानता है ,
                          जिन्दगी के हसीन लम्हों को पा कर उस में खो जाना जानता  है ,
         इस लिए कहता हूँ , अनाड़ी हूँ ,अनाड़ी  ही रहना चाहता हूँ ।

 जो अनाड़ी नही वो जिन्दगी के हसीन लम्हों को अपनी परेशानीयो से परेशान हो कर ,
उस प्यारे से पल को परेशान हो कर ही जीते है ,और जिन्दगी का रंग कहा है उन्हें पता नही । 
इस लिए कहता हूँ , अनाड़ी हूँ ,अनाड़ी  ही रहना चाहता हूँ ।

        

बुधवार, 21 मार्च 2012

दिन गुजरते जाते है ,
लम्हे गुजरते जाते है ,
न जाने वो कौन सा पल है ,
जिसे हम पाना चाहते है |हम चुप रहते है ,
तो लोग हमे गलत समझते है ,
बस चुप रह कर ही हम जिंदगी का दर्द युही पिया करते है |सब से प्यार चाहा तो वह न मिला ,
दोस्तों से सच्ची दोस्ती चाही वो ना मिली ,
चाहा -२ के बस एक तन्हाई मिली |